Monday, June 19, 2023

Father's day - part-1

गत कुछ दिन पहले शर्मा जी के अंतिम संस्कार के रीति भोज में जाना हुआ . हालाँकि में ऐसे कोई भी कार्यक्रमों से दूर ही रहती हूँ पर शर्मा जी परिवार के जैसे थे , और पापा के जाने के बाद सामाजिक अवसरों को पूरा करने का यह दायित्व मेरे ऊपर आया . कहते हैं की जो भरे पूरे परिवार में नाती पोतों को देख कर बुज़ुर्ग जाए उनका रीति भोज खाना आशीर्वाद माना जाता है . में हमेशा इसी दुविधा में रहती हूँ की यह एक दुःख की या मोक्ष में सुख प्राप्ति की घडी है . शर्मा जी के बड़े और मझले लड़के ने मिल कर बहुत ही आयोजित तरीके से सभी इन्तेज़ामात किये थे . कोई भी कमी न रह जाए ..सभी दोनों बेटों की कार्यनिष्ठां की तारीफ करते नहीं थक रहे थे .
मुझे हलाकि बहुत अचकचा महसूस हो रहा थे यह देख कर, पर फिर में में पारम्परिक तरीके से सादे रंग के कपडे पेहेन कर सभी परिवार जनों से मिल रही थी . इन सभी भेद भाड़ में मेरी नज़रिए शर्मा अन्त्य को ढून्ढ रही थी , जो कहीं नज़र नहीं आ रही थी . मैंने उनके लड़के से भी पुछा तोह उन्होंने यहाँ वहां देखने को बोल कर अपने कार्यों में व्यस्त हो गए .
शर्मा अंकल मुरादाबाद के रहने वाले थे जहाँ उनका काफी बड़ा कारोबार था . मुरादाबाद के पुराने लोगों में उनकी पहचान थी . तीन बेटे और एक बेटी के साथ उनका भरा पूरा संयुक्त परिवार था . शमा जी का बड़ा अरमान था की उच्च शिक्षा दे कर अपने सभी बच्चो को बड़ा अफसर बनाये और इस छोटे शहर के बहार विदेश तक भेजें . तीनों बेटों ने शर्मा जी का सपना पूरा किया . बड़ा बेटा पढाई पूरी कर विदेश में नौकरी करने लगा , मझले बेटे ने सिविल की परीक्षा निकल कर बड़े ओहोदे का अफसर बन गया . बेटी ने भी उच्च सीखा प्राप्त कर के शहर में प्रोफेसर की सरकारी नौकरी ले ली. शर्मा जी ने नौकरी मिलते बेटी की शादी बड़ी ही धूम धाम से धन्यड़या परिवार में कर दी . बेटी के जाने के बाद शर्मा जी के घर में सिर्फ छोटा बेटा रह गया. घर खाली खाली लगने लगा और शमा जी के मैं में पोते पोतियों को खिलने की आ जागने लगी तोह शर्मा जी ने अपने दोनों बेटों की भी शादी एक के बाद एक कर दी. शादी के बाद बहुएं भी बेटों के साथ दूसरे शहर चली गयी तोह फिर से शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ रह गए . तीसरे बेटे ने पढाई पूरी कर , आगे की पढाई के लिए विदेश जाने की परीक्षा पास कर छे साल भर के भीतर ही चला गया .
जब बेटों की शादी नहीं हुई थी तब हर साल छुट्टियों में घर आ जाया करते थे ..परन्तु अब अपनी अर्धांगिनी संग किसी न किसी हिल स्टेशन या समिन्द्र तट पर निकल जाया करते हैं . शर्मा जी और उनकी पत्नी अपने नाती - पोतों को देखने और उनके साथ खेलने को तरस जाते हैं . कभी कभार बेटों का फ़ोन आ जाया करता था और जन्मदिन और फादर्स डे के दिन केक भी भेज दिया करते थे
सालो साल शर्मा जी की भी अब उम्र बढ़ रही थी , साथ पार कर चुके थे और कारोबार को उस प्रकार नहीं चला पा रहे थे . फिर भी अपने को व्यस्त रखने के लिए रोज़ दूकान चले जाय करते थे . अब मुनाफा पहले जैसा नहीं था और नयी टेक्नोलॉजी ने कारोबार को एकदम ख़तम सा कर दिया था. शर्मा जी के सत्तर पार करने पर उनकी पत्नी ने उन्हें कारोबार बंद करने की सलाह दी.
अब शर्मा जी बिलकुल खाली हो बोर हुआ करते थे तोह उनकी पत्नी कुछ न कुछ करके उनका मैं लगाने की कोशिश किया करती . कभी उनके पसंद का कुछ खाना बनती तोह कभी उनकी पसद के गाने रिकॉर्डर पर चला देती . शर्मा जी बेटों को घर आने का आग्रह किया तोह उन्होंने छुट्टी का बहाना बना कर टाल दिया. एक बीच उनकी पत्नी ने कहा की हम की बेटे बेटियों से मिल आते हैं. शर्मा जी का एक बेटा हैदराबाद में रहता था, उन्होंने उस से वहा आने की इच्छा जाहिर की तोह उसने उनका और उनकी पत्नी का टिकट बनवा कर भेज दिया
दोनों श्रीमान श्रीमती हैदराबाद पहुंचे तोह बेटा स्टेशन पर लिवाने आया. पहली बार आने पर बहु ने यथासंभव सत्कार किया . छुट्टी के दिनों में बेटे बहु ने उनको शहर दिखाया और पर्यटन स्थल घुमाये. शर्मा जी पहली बार अपने शहर के इतनी दूर आये थे. दोनों बहुत खुश थे और समय कैसे व्यतीत हो रहा था पता ही नहीं चला की दो माह बीत गए. नाटो पोतों के साथ दोनों बहुत खुश थे .
सास ससुर के घर में होने पर बहु को पाबन्दी महसूस होने लगी . रोज़ घर पर ही खाना बनो , समय से उठो, कपडे पारम्परिक पहनो ..वगैरह वगैरह. उसे लगने लगा की वोह अब स्थायी रूप से यही रहने लग जायेंगें. बहु ने अपने मैं की संशा अपने पति से कही और बोला की जैसे भी हो माँ बाउजी जो वापस मुरादाबाद भेज दो. बहु की यह बात शर्मा जी की पत्नी ने गलती से सुन ली जब वोह शमा जी की दवाई के लिए पानी लेने जा रही थी. शर्मा जी तक यह बात न पहुंचे और उन्हें बुरा न लगे इसलिए उन्होंने कहा की इतने दिनों तक घर खाली नहीं छोड़ सकते तोह अब वापस चलना चाहिए . बेटा बहु ने सुना तोह मन ही मैं खुश हुए की बिना बोले ही काम हो गया. शर्मा जी जाना तो नहीं चाहते थे और पत्नी के आग्रह के आगे कुछ चलने को तैयार हो गए.
वापस आ कर शर्मा जी को बार बार पोते पोती की याद आने लगी . इस बीच बड़ा बेटा अपनी नौकरी छोड़ कर वापस भारत आ गया और उसने गुडगाँव में अपना घर ले लिया और वहीँ अपना कारोबार भी शुरू किया. कारोबार करना बेटे को अपने बाप दादा से मिला था तोह उनसे जल्दी ही काफी तरक्की की और बड़ा टी-मंज़िला बांग्ला और दो बड़ी गाड़ियां भी खरीदी .